Friday, 10 November 2017

One Liner Shayari-Part 3

21. धुप हैं किस्मत में लेकिन,छाया भी कही तो होगी
   जहाँ मंजिले होगी अपनी, कोई तो ऐसी ज़मीं होगी
22. इक तअल्लुक़ था जिसे आग लगा दी उस ने
    अब मुझे देख रहा है वो धुआँ होते हुए
23. ख्वाहिशें दिल की वही की वही है
   बस एक चेहरा धुंधला हो रहा है अब
24. मैं साँस साँस घायल हूँ कौन मानेगा
    बदन पे चोट को कोई निशान भी तो नही
25. एक छोटा सा लम्हा है जो खत्म ही नहीं होता
   लाख जलाती हूँ भस्म ही नहीं होता
26. वो जाने के बहाने ढूंढ रहे थे,
   हम उन्हें दरवाजे तक छोड़ आये
27. याद करके मुझे तकलीफ़ ही होती होगी
     एक क़िस्सा हूँ पुराना सा भुला दे मुझको
28. मेरी सादगी ही अँधेरो में रखती है मुझे
    मैं ज़रा सी बिगड़ू तो मशहूर हो जाऊं
29. जिसे डर ही नहीं था मुझे खोने का,
    वो क्या अफ़सोस करता होगा मेरे ना होने का
30. हर्फ़ हर्फ़ इस कदर था तल्खियों से भरा
   आखिरी ख़त तेरा दीमक से भी खाया ना गया

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