ना तलवार की धार से ना गोलियों की बौछार से,
बंदा डरता है तो सिर्फ अपने बाप की मार से।
आँखो से आँखे मिलाकर तो देखो,
एक बार हमारे पास आकर तो देखो,
मिलना चाहेंगे सब लोग तुमसे,
एक बार मेरे दोस्त साबुन से नहाकर तो देखो।
हम तुम्हारी याद में रो-रो के टब भर दिए,
तुम इतने बेवफा निकले कि नहाकर चल दिए।
मोहब्बत के खर्चों की बड़ी लंबी कहानी है,
कभी फिल्म दिखानी है तो कभी शॉपिंग करानी है,
मास्टर रोज कहता है कहाँ हैं फीस के पैसे?
उसे कैसे समझाऊँ कि मुझे छोरी पटानी है!
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